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योग
साधक = ऐसा व्यक्ति जो योग साधना का अनुसरण करता है । साधना = यौगिक अनुशासन । योग = भगवान् के साथ ऐक्य (अर्थ विस्तार से : ऐसा पथ जो इस ऐक्य की ओर ले जाये ।)
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क्या आप कृपा करके मुझे समझायेगी कि योग करने से आदमी भगवान् के निकट कैसे पहुंचता है ? और योग का असली अर्थ क्या है ? क्या यह केवल शारीरिक व्यायाम ही है या मन का भी योग होता है ?
इसका आध्यात्मिक जीवन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं हे, धर्म के साथ भी नहीं । 'क' तुम्हें विस्तार से समझा देगा, लेकिन मैं तुम्हें बतला सकती हूं कि योग केवल मन की भगवान् के प्रति अभीप्सा नहीं है बल्कि मुख्य रूप से हृदय की चाह भी है । ६ नवम्बर, १९६३
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समस्त संसार उत्तरोत्तर प्रगतिशील रूपान्तर की प्रक्रिया में है । अगर तुम 'योग'-साधना अपनाते हो तो तुम अपने अन्दर इस प्रक्रिया को तेज कर लेते हो ।
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'योग' और समस्त जीवन सम अनुपात में हैं । *
सच्ची आध्यात्मिकता जीवन को रूपान्तरित कर देती है ।
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